दे कर नवेद-ए-नग़्मा-ए-ग़म साज़-ए-इश्क़ को
टूटे हुए दिलों की सदा हो गए हो तुम
अनवर साबरी
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दे कर नवेद-ए-नग़्मा-ए-ग़म साज़-ए-इश्क़ को
टूटे हुए दिलों की सदा हो गए हो तुम
अनवर साबरी
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अता-ए-ग़म पे भी ख़ुश हूँ मिरी ख़ुशी क्या है
रज़ा तलब जो नहीं है वो बंदगी क्या है
अनवर साबरी
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अल्लाह अल्लाह ये फ़ज़ा-ए-दुश्मन-ए-मेहर-ओ-वफ़ा
आश्ना के नाम से होता है बरहम आश्ना
अनवर साबरी
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आया है कोई पुर्सिश-ए-अहवाल के लिए
पेश आँसुओं की आप भी सौग़ात कीजिए
अनवर साबरी
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आप करते जो एहतिराम-ए-बुताँ
बुत-कदे ख़ुद ख़ुदा ख़ुदा करते
अनवर साबरी