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आनंद नारायण मुल्ला शायरी | शाही शायरी

आनंद नारायण मुल्ला शेर

40 शेर

वो दुनिया थी जहाँ तुम रोक लेते थे ज़बाँ मेरी
ये महशर है यहाँ सुननी पड़ेगी दास्ताँ मेरी

आनंद नारायण मुल्ला




वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है

who are those that seem to find the time for to repent
for us this life is too short to sin to heart's content

आनंद नारायण मुल्ला




गले लगा के किया नज़्र-ए-शो'ला-ए-आतिश
क़फ़स से छूट के फिर आशियाँ मिले न मिले

आनंद नारायण मुल्ला




अब और इस के सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला'
ये कम है उस ने तुम्हें मुस्कुरा के देख लिया

आनंद नारायण मुल्ला




अब और इस से सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला'
ये कम है उस ने तुम्हें मुस्कुरा के देख लिया

आनंद नारायण मुल्ला




अब बन के फ़लक-ज़ाद दिखाते हैं हमें आँख
ज़र्रे वही कल जिन को उछाला था हमीं ने

आनंद नारायण मुल्ला




अक़्ल के भटके होऊँ को राह दिखलाते हुए
हम ने काटी ज़िंदगी दीवाना कहलाते हुए

आनंद नारायण मुल्ला




अश्क-ए-ग़म-ए-उल्फ़त में इक राज़-ए-निहानी है
पी जाओ तो अमृत है बह जाए तो पानी है

आनंद नारायण मुल्ला




दयार-ए-इश्क़ है ये ज़र्फ़-ए-दिल की जाँच होती है
यहाँ पोशाक से अंदाज़ा इंसाँ का नहीं होता

आनंद नारायण मुल्ला