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अब्दुल मजीद हैरत शायरी | शाही शायरी

अब्दुल मजीद हैरत शेर

2 शेर

सच तो ये है कि नदामत ही हुई
राज़ की बात किसी से कह के

अब्दुल मजीद हैरत




ये शबाब-ए-हुस्न ये हुस्न-ए-शबाब
हश्र तक उन पर यही आलम रहे

अब्दुल मजीद हैरत