EN اردو
तौक़-ओ-दार का मौसम | शाही शायरी
tauq-o-dar ka mausam

नज़्म

तौक़-ओ-दार का मौसम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

;

रविश-रविश है वही इंतिज़ार का मौसम
नहीं है कोई भी मौसम बहार का मौसम

गिराँ है दिल पे ग़म-ए-रोज़गार का मौसम
है आज़माइश-ए-हुस्न-ए-निगार का मौसम

ख़ुशा नज़ारा-ए-रुख़सार-ए-यार की साअत
ख़ुशा क़रार-ए-दिल-ए-बे-क़रार का मौसम

हदीस-ए-बादा-ओ-साक़ी नहीं तो किस मसरफ़
ख़िराम-ए-अब्र-ए-सर-ए-कोहसार का मौसम

नसीब-ए-सोहबत-ए-याराँ नहीं तो क्या कीजे
ये रक़्स-ए-साया-ए-सर्व-ओ-चिनार का मौसम

ये दिल के दाग़ तो दुखते थे यूँ भी पर कम कम
कुछ अब के और है हिज्रान-ए-यार का मौसम

यही जुनूँ का यही तौक़-ओ-दार का मौसम
यही है जब्र यही इख़्तियार का मौसम

क़फ़स है बस में तुम्हारे तुम्हारे बस में नहीं
चमन में आतिश-ए-गुल के निखार का मौसम

सबा की मस्त-ख़िरामी तह-ए-कमंद नहीं
असीर-ए-दाम नहीं है बहार का मौसम

बला से हम ने न देखा तो और देखेंगे
फ़रोग़-ए-गुलशन ओ सौत-ए-हज़ार का मौसम