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तआ'क़ुब | शाही शायरी
taaqub

नज़्म

तआ'क़ुब

जौन एलिया

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मुझ से पहले के दिन
अब बहुत याद आने लगे हैं तुम्हें

ख़्वाब-ओ-ता'बीर के गुम-शुदा सिलसिले
बार बार अब सताने लगे हैं तुम्हें

दुख जो पहुँचे थे तुम से किसी को कभी
देर तक अब जगाने लगे हैं तुम्हें

अब बहुत याद आने लगे हैं तुम्हें
अपने वो अहद-ओ-पैमाँ जो मुझ से न थे

क्या तुम्हें मुझ से अब कुछ भी कहना नहीं