EN اردو
सियासी लीडर के नाम | शाही शायरी
siyasi leader ke nam

नज़्म

सियासी लीडर के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

;

साल-हा-साल ये बे-आसरा जकड़े हुए हाथ
रात के सख़्त ओ सियह सीने मैं पैवस्त रहे

जिस तरह तिनका समुंदर से हो सरगर्म-ए-सतेज़
जिस तरह तीतरी कोहसार पे यलग़ार करे

और अब रात के संगीन ओ सियह सीने में
इतने घाव हैं कि जिस सम्त नज़र जाती है

जा-ब-जा नूर नय इक जाल सा बुन रखा है
दूर से सुब्ह की धड़कन की सदा आती है

तेरा सरमाया तिरी आस यही हाथ तो हैं
और कुछ भी तो नहीं पास यही हाथ तो हैं

तुझ को मंज़ूर नहीं ग़लब-ए-ज़ुल्मत लेकिन
तुझ को मंज़ूर है ये हाथ क़लम हो जाएँ

और मश्रिक की कमीं-गह में धड़कता हुआ दिन
रात की आहनी मय्यत के तले दब जाए!