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सफ़ेद सच | शाही शायरी
safed sach

नज़्म

सफ़ेद सच

मुनव्वर राना

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उस की उँगलियाँ हमेशा सच बोलती हैं
बड़ा यक़ीन था उसे अपनी उँगलियों पर

उन के सच्चे होने पर भी बड़ा नाज़ था
वो हमेशा अपनी उँगलियों को

बातों बातों में चूम लेती थी
एक दिन नादानी में उस ने

अपनी उँगलियाँ मेरे होंटों पर रख दीं
उस दिन से उस की उँगलियाँ सच नहीं बोलतीं

सिर्फ़ झूट बोलती हैं