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नक़ाबें | शाही शायरी
naqaben

नज़्म

नक़ाबें

निदा फ़ाज़ली

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नीली पीली हरी गुलाबी
मैं ने सब रंगीन नक़ाबें

अपनी जेबों में भर ली हैं
अब मेरा चेहरा नंगा है

बिल्कुल नंगा
अब!

मेरे साथी ही मुझ पर
पग पग

पत्थर फेंक रहे हैं
शायद वो

मेरे चेहरे में अपना चेहरा देख रहे हैं