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ला-इलाहा-इल्लल्लाह | शाही शायरी
la-ilaha-illallah

नज़्म

ला-इलाहा-इल्लल्लाह

अल्लामा इक़बाल

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ख़ुदी का सिर्र-ए-निहाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह
ख़ुदी है तेग़ फ़साँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

ये दौर अपने बराहीम की तलाश में है
सनम-कदा है जहाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

किया है तू ने मता-ए-ग़ुरूर का सौदा
फ़रेब-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

ये माल-ओ-दौलत-ए-दुनिया ये रिश्ता ओ पैवंद
बुतान-ए-वहम-ओ-गुमाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

ख़िरद हुई है ज़मान ओ मकाँ की ज़ुन्नारी
न है ज़माँ न मकाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

ये नग़्मा फ़स्ल-ए-गुल-ओ-लाला का नहीं पाबंद
बहार हो कि ख़िज़ाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह

अगरचे बुत हैं जमाअत की आस्तीनों में
मुझे है हुक्म-ए-अज़ाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह