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एक तराना मुजाहिदीन-ए-फ़िलिस्तीन के लिए | शाही शायरी
ek tarana mujahidin-e-filistin ke liye

नज़्म

एक तराना मुजाहिदीन-ए-फ़िलिस्तीन के लिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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हम जीतेंगे
हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे

बिल-आख़िर इक दिन जीतेंगे
क्या ख़ौफ़ ज़ी-यलग़ार-ए-आदा

है सीना सिपर हर ग़ाज़ी का
क्या ख़ौफ़ ज़ी-यूरिश-ए-जैश-ए-क़ज़ा

सफ़-बस्ता हैं अरवाहुश्शुहदा
डर काहे का

हम जीतेंगे
हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे

क़द जाअल-हक़्क़ो व ज़हक़ल-बातिल
फ़र्मूदा-ए-रब्ब-ए-अकबर

है जन्नत अपने पाँव तले
और साया-ए-रहमत सर पर है

फिर क्या डर है
हम जीतेंगे

हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे
बिल-आख़िर इक दिन जीतेंगे