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दरोग़-गो रावी | शाही शायरी
darogh-go rawi

नज़्म

दरोग़-गो रावी

ज़िया जालंधरी

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दिल दरोग़-गो रावी
फ़ासले बला के हैं

पैरहन के पैराए
जिस्म की परस्तिश में

जुस्तुजू मोहब्बत की
ख़ुद फ़रेब ख़्वाहिश में

दिल दरोग़-गो रावी
फ़ासले बला के हैं

पैकर-ए-वफ़ा किस ने
जिस्म से तराशा है

ज़ुल्फ़-ओ-आरिज़-ओ-लब में
पैरा का तमाशा है

दाग़-ए-दिल का सरमाया
किस ने किस को अपनाया