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छै रंगीं दरवाज़े | शाही शायरी
chhai rangin darwaze

नज़्म

छै रंगीं दरवाज़े

मुनीर नियाज़ी

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छै रंगों के फूल खिले हैं
मेरे घर के आगे

किसी नए सुख के दरवाज़े
ख़्वाब से जैसे जागे

उन के पीछे रंग बहुत हैं
और बहुत अंदाज़े

उन के पीछे शहर बहुत हैं
और बहुत दरवाज़े