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बोल | शाही शायरी
bol

नज़्म

बोल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
बोल ज़बाँ अब तक तेरी है

तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा
बोल कि जाँ अब तक तेरी है

देख कि आहन-गर की दुकाँ में
तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन

खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने
फैला हर इक ज़ंजीर का दामन

बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है
जिस्म ओ ज़बाँ की मौत से पहले

बोल कि सच ज़िंदा है अब तक
बोल जो कुछ कहना है कह ले

Speak
Speak, your lips are free,

speak, your tongue is still yours,
your slim body is yours alone,

speak, this life is yours, still yours.