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अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ | शाही शायरी
ab main use yaad bana dena chahta hun

नज़्म

अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ

मुनीर नियाज़ी

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मैं उस की आँखों को देखता रहता हूँ
मगर मेरी समझ में कुछ नहीं आता

मैं उस की बातों को सुनता रहता हूँ
मगर मेरी समझ में कुछ नहीं आता

अब अगर वो कभी मुझ से मिले
तो मैं उस से बात नहीं करूँगा

उस की तरफ़ देखूँगा भी नहीं
मैं कोशिश करूँगा

मेरा दिल कहीं और मुब्तला हो जाए
अब मैं उसे याद बना देना चाहता हूँ