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ज़िंदगी आईना है आईना-आराई है | शाही शायरी
zindagi aaina hai aaina-arai hai

ग़ज़ल

ज़िंदगी आईना है आईना-आराई है

अता शाद

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ज़िंदगी आईना है आईना-आराई है
अजनबी भी है वही जिस से शनासाई है

संग-दिल सामने आता है तो ये सोचता हूँ
आरज़ू हुस्न की दीवार से टकराई है

आज की रात भी करता है कोई कुफ़्र की बात
चाँद के फूल में शबनम की शराब आई है

किस को इस दौर में है फ़ुर्सत-ए-इश्क़-ए-ख़ूबाँ
आग तेरे लब ओ रुख़्सार ने बरसाई है

तू नहीं है तो हर इक जुरआ-ए-महताब-सिफ़त
याद की आँख से टपकी हुई तन्हाई है

दिल वो सहरा है जहाँ हसरत-ए-साया भी नहीं
दिल वो दुनिया है जहाँ रंग है रानाई है