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ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा | शाही शायरी
ye mohabbat ka fasana bhi badal jaega

ग़ज़ल

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा

अज़हर लखनवी

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ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा

आज-कल में कोई तूफ़ान है उठने वाला
हम ग़रीबों का ठिकाना भी बदल जाएगा

मुझ से लिल्लाह न सरकार छुड़ाएँ दामन
आप बदले तो ज़माना भी बदल जाएगा

फिर बहार आई है गुलशन का नज़ारा कर लो
वर्ना ये वक़्त सुहाना भी बदल जाएगा

मुफ़्लिसी मसनद-ए-ज़रदार पे क़ाबिज़ होगी
महल बदलेगा ज़माना भी बदल जाएगा

किस को मालूम था अंजाम ये होगा 'अज़हर'
घर बदलते ही घराना भी बदल जाएगा