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उन को अहद-ए-शबाब में देखा | शाही शायरी
un ko ahd-e-shabab mein dekha

ग़ज़ल

उन को अहद-ए-शबाब में देखा

अब्दुल हमीद अदम

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उन को अहद-ए-शबाब में देखा
चाँदनी को शराब में देखा

आँख का ए'तिबार क्या करते
जो भी देखा वो ख़्वाब में देखा

दाग़ सा माहताब में पाया
ज़ख़्म सा आफ़्ताब में देखा

जाम ला कर क़रीब आँखों के
आप ने कुछ शराब में देखा

किस ने छेड़ा था साज़-ए-मस्ती को?
एक शो'ला रुबाब में देखा

लोग कुछ मुतमइन भी थे फिर भी
जिस को देखा अज़ाब में देखा

हिज्र की रात सो गए थे 'अदम'
सुब्ह-ए-महशर को ख़्वाब में देखा