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उन के सितम भी कह नहीं सकते किसी से हम | शाही शायरी
un ke sitam bhi kah nahin sakte kisi se hum

ग़ज़ल

उन के सितम भी कह नहीं सकते किसी से हम

आले रज़ा रज़ा

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उन के सितम भी कह नहीं सकते किसी से हम
घुट घुट के मर रहे हैं अजब बेबसी से हम

यादश-ब-ख़ैर दिल का ख़याल आ के रह गया
इस बे-दिली में जीते हैं किस बे-हिसी से हम

जो दिल में था वो मिलता है साथ अपने ख़ाक में
तुम दूर और कह न सके कुछ किसी से हम