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उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं | शाही शायरी
udas aankhon se aansu nahin nikalte hain

ग़ज़ल

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं

बशीर बद्र

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उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

घने धुएँ में फ़रिश्ते भी आँख मलते हैं
तमाम रात खुजूरों के पेड़ जुलते हैं

मैं शाहराह नहीं रास्ते का पत्थर हूँ
यहाँ सवार भी पैदल उतर के चलते हैं

उन्हें कभी न बताना मैं उन की आँखों में
वो लोग फूल समझ कर मुझे मसलते हैं

कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
कहीं भी जाऊँ मिरे साथ साथ चलते हैं

ये एक पेड़ है आ इस से मिल के रो लें हम
यहाँ से तेरे मिरे रास्ते बदलते हैं