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तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो | शाही शायरी
tera KHayal farozan hai dekhiye kya ho

ग़ज़ल

तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो

ज़ेहरा निगाह

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तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो
ख़मोश गर्दिश-ए-दौराँ है देखिए क्या हो

न जाने कितने सितारे ये कहते डूब गए
सहर का रंग परेशाँ है देखिए क्या हो

कली उदास चमन सोगवार गुल ख़ामोश
ये इंतिज़ार-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो

अजीब बात है इन तीरगी की राहों में
नफ़स नफ़स में चराग़ाँ है देखिए क्या हो

भड़क रहा है अभी तक चराग़ आख़िर-ए-शब
उसे भी सुब्ह का अरमाँ है देखिए क्या हो