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सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम | शाही शायरी
sitara-war jale phir bujha diye gae hum

ग़ज़ल

सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम
फिर इस के बा'द नज़र से गिरा दिए गए हम

अज़ीज़ थे हमीं नौ-वारिदान-ए-कूचा-ए-इश्क़
सो पीछे हटते गए रास्ता दिए गए हम

शिकस्त ओ फ़त्ह के सब फ़ैसले हुए कहीं और
मिसाल-ए-माल-ए-ग़नीमत लुटा दिए गए हम

ज़मीन फ़र्श-ए-गुल-ओ-लाला से सजाई गई
फिर इस ज़मीं की अमानत बना दिए गए हम

दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम