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सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा | शाही शायरी
sine mein raaz-e-ishq chhupaya na jaega

ग़ज़ल

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

हमीद जालंधरी

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सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा
ये आग वो है जिस को दबाया न जाएगा

सुन लीजिए कि है अभी आग़ाज़-ए-आशिक़ी
फिर हम से अपना हाल सुनाया न जाएगा

अब सुल्ह-ओ-आशती के ज़माने गुज़र गए
अब दोस्ती का हाथ बढ़ाया न जाएगा

हम आह तक भी ला न सकेंगे ज़बान पर
वो रूठ जाएँगे तो मनाया न जाएगा

वो दूर हैं तो दिल को है इक इज़्तिराब सा
वो आएँगे तो आप में आया न जाएगा