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क़ंद-ए-दहन कुछ इस से ज़ियादा | शाही शायरी
qand-e-dahan kuchh is se ziyaada

ग़ज़ल

क़ंद-ए-दहन कुछ इस से ज़ियादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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क़ंद-ए-दहन कुछ इस से ज़ियादा
लुत्फ़-ए-सुख़न कुछ इस से ज़ियादा

फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ में लुत्फ़-ए-बहाराँ
बर्ग-ए-समन कुछ इस से ज़ियादा

हाल-ए-चमन पर तल्ख़-नवाई
मुर्ग़-ए-चमन कुछ इस से ज़ियादा

दिल-शिकनी भी दिलदारी भी
याद-ए-वतन कुछ इस से ज़ियादा

शम्-ए-बदन फ़ानूस-ए-क़बा में
ख़ूबी-ए-तन कुछ इस से ज़ियादा

इश्क़ में क्या है ग़म के अलावा
ख़्वाजा-ए-मन कुछ इस से ज़ियादा