EN اردو
मुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो | शाही शायरी
mujhe udas kar gae ho KHush raho

ग़ज़ल

मुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो

फ़ाज़िल जमीली

;

मुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो
मिरे मिज़ाज पर गए हो ख़ुश रहो

मिरे लिए न रुक सके तो क्या हुआ
जहाँ कहीं ठहर गए हो ख़ुश रहो

ख़ुशी हुई है आज तुम को देख कर
बहुत निखर सँवर गए हो ख़ुश रहो

उदास हो किसी की बेवफ़ाई पर
वफ़ा कहीं तो कर गए हो ख़ुश रहो

गली में और लोग भी थे आश्ना
हमें सलाम कर गए हो ख़ुश रहो

तुम्हें तो मेरी दोस्ती पे नाज़ था
इसी से अब मुकर गए हो ख़ुश रहो

किसी की ज़िंदगी बनो कि बंदगी
मिरे लिए तो मर गए हो ख़ुश रहो