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हसरत-ए-इंतिज़ार-ए-यार न पूछ | शाही शायरी
hasrat-e-intizar-e-yar na puchh

ग़ज़ल

हसरत-ए-इंतिज़ार-ए-यार न पूछ

नून मीम राशिद

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हसरत-ए-इंतिज़ार-ए-यार न पूछ
हाए वो शिद्दत-ए-इंतिज़ार न पूछ

रंग-ए-गुलशन दम-ए-बहार न पूछ
वहशत-ए-क़ल्ब-ए-बे-क़रार न पूछ

सदमा-ए-अंदलीब-ए-ज़ार न पूछ
तल्ख़ अंजामी-ए-बहार न पूछ

ग़ैर पर लुत्फ़ मैं रहीन-ए-सितम
मुझ से आईना-ए-बज़्म-ए-यार न पूछ

दे दिया दर्द मुझ को दिल के एवज़
हाए लुत्फ़-ए-सितम-शिआर न पूछ

फिर हुई याद-ए-मय-कशी ताज़ा
मस्ती-ए-अब्र-ए-नौ-बहार न पूछ

मुझ को धोका है तार-ए-बिस्तर का
ना-तवानी-ए-जिस्म-ए-यार न पूछ

मैं हूँ ना-आश्ना-ए-वस्ल हुनूज़
मुझ से कैफ़-ए-विसाल-ए-यार न पूछ