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है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग | शाही शायरी
hai yaad mujhe nukta-e-salman-e-KHush-ahang

ग़ज़ल

है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग

अल्लामा इक़बाल

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है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
दुनिया नहीं मर्दान-ए-जफ़ा-कश के लिए तंग

चीते का जिगर चाहिए शाहीं का तजस्सुस
जी सकते हैं बे-रौशनी-ए-दानिश-ओ-फ़रहंग

कर बुलबुल ओ ताऊस की तक़लीद से तौबा
बुलबुल फ़क़त आवाज़ है ताऊस फ़क़त रंग