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हाल-ए-ग़म उन को सुनाते जाइए | शाही शायरी
haal-e-gham un ko sunate jaiye

ग़ज़ल

हाल-ए-ग़म उन को सुनाते जाइए

ख़ुमार बाराबंकवी

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हाल-ए-ग़म उन को सुनाते जाइए
शर्त ये है मुस्कुराते जाइए

आप को जाते न देखा जाएगा
शम्अ' को पहले बुझाते जाइए

शुक्रिया लुत्फ़-ए-मुसलसल का मगर
गाहे गाहे दिल दुखाते जाइए

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए

रौशनी महदूद हो जिन की 'ख़ुमार'
उन चराग़ों को बुझाते जाइए