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एक हम ही तो नहीं आबला-पा आवारा | शाही शायरी
ek hum hi to nahin aabla-pa aawara

ग़ज़ल

एक हम ही तो नहीं आबला-पा आवारा

अख़्तर होशियारपुरी

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एक हम ही तो नहीं आबला-पा आवारा
निगहत-ए-गुल भी हुई बाद-ए-सबा आवारा

ये कहीं उम्र-ए-गुज़िश्ता तो नहीं तुम तो नहीं
कोई फिरता है सर-ए-शहर-ए-वफ़ा आवारा

कौन मंज़िल की ख़बर दे किसे मंज़िल की ख़बर
राह-रौ आबला-पा राह-नुमा आवारा

दिल धड़कता है सर-ए-शाम कि गुज़रेगा अभी
वादी-ए-शब से कोई नग़्मा-सरा आवारा

अब कोई किस से कहे कैफ़िय्यत-ए-ज़ख़्म-ए-बहार
सब्ज़ा बेगाना है गुल चुप हैं सबा आवारा