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देखिए चलता है पैमाना किधर से पहले | शाही शायरी
dekhiye chalta hai paimana kidhar se pahle

ग़ज़ल

देखिए चलता है पैमाना किधर से पहले

अज़हर लखनवी

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देखिए चलता है पैमाना किधर से पहले
बज़्म में शोर है हर सम्त इधर से पहले

ग़म की तारीक घटाओं से परेशान न हो
तीरगी होती है आसार-ए-सहर से पहले

आप जिस राहगुज़र से हैं गुज़रने वाले
हम गुज़र आए हैं उस राहगुज़र से पहले

मुझ से देखे नहीं जाते हैं किसी के आँसू
पोंछ लो अश्क ज़रा दीदा-ए-तर से पहले

हुस्न वाले तो बहुत फिरते हैं हर सू लेकिन
तुम सा कोई नहीं गुज़रा है नज़र से पहले

एक मंज़िल है मगर राह कई हैं 'अज़हर'
सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले