EN اردو
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है | शाही शायरी
chehre pe KHushi chha jati hai aankhon mein surur aa jata hai

ग़ज़ल

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है

साहिर लुधियानवी

;

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है

हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो
बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है

जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है