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अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया | शाही शायरी
afsana chahte the wo afsana ban gaya

ग़ज़ल

अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया

अब्दुल हमीद अदम

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अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया
मैं हुस्न-ए-इत्तिफ़ाक़ से दीवाना बन गया

वो इक निगाह देख के ख़ुद भी हैं शर्मसार
ना-आगही में यूँही इक अफ़्साना बन गया

मौज-ए-हवा से ज़ुल्फ़ जो लहरा गई तिरी
मेरा शुऊ'र लग़्ज़िश-ए-मस्ताना बन गया

हुस्न एक इख़तियार-ए-मुकम्मल है आप ने
दीवाना कर दिया जिसे दीवाना बन गया

ज़िक्र उस का गुफ़्तुगू में जो शामिल हुआ 'अदम'
जो शे'र कह दिया वो परी-ख़ाना बन गया