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अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का | शाही शायरी
ada se dekh lo jata rahe gila dil ka

ग़ज़ल

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़

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अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठेरा है फ़ैसला दिल का

वो ज़ुल्म करते हैं मुझ पर तो लोग कहते हैं
ख़ुदा बुरे से न डाले मोआ'मला दिल का

फिरा जो कूचा-ए-काकुल से कोई पूछेंगे
सुना है लुट गया रस्ते में क़ाफ़िला दिल का

हज़ार फ़स्ल-ए-गुल आए जुनूँ वो जोश कहाँ
गया शबाब के हमराह वलवला दिल का

बहार आते ही कुंज-ए-क़फ़स नसीब हुआ
हज़ार हैफ़ कि निकला न हौसला दिल का

इलाही ख़ैर हो कुछ आज रंग बे-ढब है
तपक रहा है कई दिन से आबला दिल का

ख़ुदा के हाथ है अब अपना ऐ 'क़लक़' इंसाफ़
बुतों से हश्र में होगा मुक़ाबला दिल का