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आता है कौन दर्द के मारों के शहर में | शाही शायरी
aata hai kaun dard ke maron ke shahr mein

ग़ज़ल

आता है कौन दर्द के मारों के शहर में

अब्दुल हमीद अदम

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आता है कौन दर्द के मारों के शहर में
रहते हैं लोग चाँद सितारों के शहर में

मिलता तो है ख़ुशी की हक़ीक़त का कुछ सुराग़
लेकिन नज़र-फ़रेब इशारों के शहर में

उन अँखड़ियों को देख के होता है ये गुमाँ
हम आ बसे हैं बादा-गुसारों के शहर में

ऐ दिल तिरे ख़ुलूस के सदक़े! ज़रा सा होश
दुश्मन भी बे-शुमार हैं यारों के शहर में

देखें 'अदम' नसीब में है क्या लिखा हुआ
दिल बेचने चले हैं निगारों के शहर में