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आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें | शाही शायरी
aao husn-e-yar ki baaten karen

ग़ज़ल

आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें

चराग़ हसन हसरत

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आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
ज़ुल्फ़ की रुख़्सार की बातें करें

ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-बार के क़िस्से सुनाएँ
तुर्रा-ए-तर्रार की बातें करें

फूल बरसाएँ बिसात ऐश पर
रोज़ वस्ल यार की बातें करें

नक़्द-ए-जाँ ले कर चलें उस बज़्म में
मिस्र के बाज़ार की बातें करें

उन के कूचे में जो गुज़री है कहीं
साया-ए-दीवार की बातें करें

आख़िरी साअत शब-ए-रुख़्सत की है
आओ अब तो प्यार की बातें करें