EN اردو
आज तो बे-सबब उदास है जी | शाही शायरी
aaj to be-sabab udas hai ji

ग़ज़ल

आज तो बे-सबब उदास है जी

नासिर काज़मी

;

आज तो बे-सबब उदास है जी
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी

जलता फिरता हूँ मैं दोपहरों में
जाने क्या चीज़ खो गई मेरी

वहीं फिरता हूँ मैं भी ख़ाक-बसर
इस भरे शहर में है एक गली

छुपता फिरता है इश्क़ दुनिया से
फैलती जा रही है रुस्वाई

हम-नशीं क्या कहूँ कि वो क्या है
छोड़ ये बात नींद उड़ने लगी

आज तो वो भी कुछ ख़मोश सा था
मैं ने भी उस से कोई बात न की

एक दम उस के होंट चूम लिए
ये मुझे बैठे बैठे क्या सूझी

एक दम उस का हाथ छोड़ दिया
जाने क्या बात दरमियाँ आई

तू जो इतना उदास है 'नासिर'
तुझे क्या हो गया बता तो सही