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मौसम शायरी | शाही शायरी

मौसम

5 शेर

जो उन मासूम आँखों ने दिए थे
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ

फ़िराक़ गोरखपुरी




आती जाती है जा-ब-जा बदली
साक़िया जल्द आ हवा बदली

इमाम बख़्श नासिख़




सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला

मोहम्मद अल्वी




तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

क़ैसर-उल जाफ़री




दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

क़तील शिफ़ाई