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कोलकाता शायरी | शाही शायरी

कोलकाता

1 शेर

कोई छींटा पड़े तो 'दाग़' कलकत्ते चले जाएँ
अज़ीमाबाद में हम मुंतज़िर सावन के बैठे हैं

दाग़ देहलवी