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Aagahi शायरी | शाही शायरी

Aagahi

5 शेर

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

अल्लामा इक़बाल




आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास
मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे

बशीर फ़ारूक़ी




उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है
बस वही आगही में गुज़री है

गुलज़ार देहलवी




तिरा वस्ल है मुझे बे-ख़ुदी तिरा हिज्र है मुझे आगही
तिरा वस्ल मुझ को फ़िराक़ है तिरा हिज्र मुझ को विसाल है

जलालुद्दीन अकबर




'सौदा' जो बे-ख़बर है वही याँ करे है ऐश
मुश्किल बहुत है उन को जो रखते हैं आगही

मोहम्मद रफ़ी सौदा