उसे तुम चाँद से तश्बीह देना
कि उस के हाथ में ख़ंजर खुला था
विशाल खुल्लर
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उसी के शेर सभी और उसी के अफ़्साने
उसी की प्यास का बादल घटा में आया है
विशाल खुल्लर
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वो जिस्म रूह ख़ला आसमान है क्या है
कि रंग कोई हो उस से जुदा नहीं मिलता
विशाल खुल्लर
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