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उमर अंसारी शायरी | शाही शायरी

उमर अंसारी शेर

12 शेर

अक्सर हुआ है ये कि ख़ुद अपनी तलाश में
आगे निकल गए हैं हद-ए-मा-सिवा से भी

उमर अंसारी




बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत
दिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत

उमर अंसारी




बुरा सही मैं प नीयत बुरी नहीं मेरी
मिरे गुनाह भी कार-ए-सवाब में लिखना

उमर अंसारी




चले जो धूप में मंज़िल थी उन की
हमें तो खा गया साया शजर का

उमर अंसारी




छुप कर न रह सकेगा वो हम से कि उस को हम
पहचान लेंगे उस की किसी इक अदा से भी

उमर अंसारी




जो तीर आया गले मिल के दिल से लौट गया
वो अपने फ़न में मैं अपने हुनर में तन्हा था

उमर अंसारी




मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन
मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर

उमर अंसारी




तारी है हर तरफ़ जो ये आलम सुकूत का
तूफ़ाँ का पेश-ख़ेमा समझ ख़ामुशी नहीं

उमर अंसारी




उस इक दिए से हुए किस क़दर दिए रौशन
वो इक दिया जो कभी बाम-ओ-दर में तन्हा था

उमर अंसारी