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तालीफ़ हैदर शायरी | शाही शायरी

तालीफ़ हैदर शेर

12 शेर

वो एक लम्हा जिसे तुम ने मुख़्तसर जाना
हम ऐसे लम्हे में इक दास्ताँ बनाते हैं

तालीफ़ हैदर




ये शहर अपनी इसी हाव-हू से ज़िंदा है
तुम्हारी और मिरी गुफ़्तुगू से ज़िंदा है

तालीफ़ हैदर




ये तेरा दिवाना रात गए मालूम नहीं क्यूँ पहरों तक
आँसू की लकीरों से कितने नक़्श-ए-जज़्बात बनाए है

तालीफ़ हैदर