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शरफ़ मुजद्दिदी शायरी | शाही शायरी

शरफ़ मुजद्दिदी शेर

22 शेर

दुख़्त-ए-रज़ और तू कहाँ मिलती
खींच लाए शराब-ख़ाने से

शरफ़ मुजद्दिदी




दिल में मिरे जिगर में मिरे आँख में मिरी
हर जा है दोस्त और नहीं मिलती है जा-ए-दोस्त

शरफ़ मुजद्दिदी




अल्लाह अल्लाह ख़ुसूसिय्यत-ए-ज़ात-ए-हसनैन
सारी उम्मत के हैं पोतों से नवासे बढ़ कर

शरफ़ मुजद्दिदी




अब तो मय-ख़ानों से भी कुछ बढ़ कर
जाम चलते हैं ख़ानक़ाहों में

शरफ़ मुजद्दिदी