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ख़लील मामून शायरी | शाही शायरी

ख़लील मामून शेर

27 शेर

जंगलों में कहीं खो जाना है
जानवर फिर मुझे हो जाना है

ख़लील मामून




हज़ारों चाँद सितारे चमक गए होते
कभी नज़र जो तिरी माइल-ए-करम होती

ख़लील मामून




हर एक काम है धोका हर एक काम है खेल
कि ज़िंदगी में तमाशा बहुत ज़रूरी है

ख़लील मामून




हर एक जगह भटकते फिरेंगे सारी उम्र
बिल-आख़िर अपने ही घर जाएँगे किसी दिन हम

ख़लील मामून




फ़तह के जश्न में हैं सब सरशार
मैं तो अपनी ही मात में गुम हूँ

ख़लील मामून




दिल में उमंग और इरादा कोई तो हो
बे-कैफ़ ज़िंदगी में तमाशा कोई तो हो

ख़लील मामून




दर्द के सहारे कब तलक चलेंगे
साँस रुक रही है फ़ासला बड़ा है

ख़लील मामून




चलना लिखा है अपने मुक़द्दर में उम्र भर
मंज़िल हमारी दर्द की राहों में गुम हुई

ख़लील मामून




ऐसे मर जाएँ कोई नक़्श न छोड़ें अपना
याद दिल में न हो अख़बार में तस्वीर न हो

ख़लील मामून