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दत्तात्रिया कैफ़ी शायरी | शाही शायरी

दत्तात्रिया कैफ़ी शेर

10 शेर

दैर ओ काबा में भटकते फिर रहे हैं रात दिन
ढूँढने से भी तो बंदों को ख़ुदा मिलता नहीं

दत्तात्रिया कैफ़ी




ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं
सच अगर पूछो तो सच्चा आश्ना मिलता नहीं

दत्तात्रिया कैफ़ी




इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे
है इस में इक तिलिस्म तमन्ना कहें जिसे

दत्तात्रिया कैफ़ी




इश्क़ ने जिस दिल पे क़ब्ज़ा कर लिया
फिर कहाँ उस में नशात ओ ग़म रहे

दत्तात्रिया कैफ़ी




कहने को तो कह गए हो सब कुछ
अब कोई जवाब दे तो क्या हो

दत्तात्रिया कैफ़ी




कोई दिल-लगी दिल लगाना नहीं है
क़यामत है ये दिल का आना नहीं है

दत्तात्रिया कैफ़ी




सब कुछ है और कुछ भी नहीं दहर का वजूद
'कैफ़ी' ये बात वो है मुअम्मा कहें जिसे

दत्तात्रिया कैफ़ी




तुम से अब क्या कहें वो चीज़ है दाग़-ए-ग़म-ए-इश्क़
कि छुपाए न छुपे और दिखाए न बने

दत्तात्रिया कैफ़ी




वफ़ा पर दग़ा सुल्ह में दुश्मनी है
भलाई का हरगिज़ ज़माना नहीं है

दत्तात्रिया कैफ़ी