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आसिम शहनवाज़ शिबली शायरी | शाही शायरी

आसिम शहनवाज़ शिबली शेर

5 शेर

बर्क़ बाराँ तीरगी और ज़लज़ला
बदला बदला सा है मौसम का मिज़ाज

आसिम शहनवाज़ शिबली




घर घर जा कर जो सुने लोगों की फ़रियाद
उस को अपने घर में ही मिले न कोई दाद

आसिम शहनवाज़ शिबली




कैसे निखरे शाएरी और तर्ज़-ए-इज़हार
इस में होता है मियाँ ख़ून-ए-दिल दरकार

आसिम शहनवाज़ शिबली




सहमे सहमे क़ाफ़िले पत्थर-दिल हैं लोग
हम हैं उन के बीच अब ये तो इक संजोग

आसिम शहनवाज़ शिबली




याद आता है रह रह के छोटा सा वो गाँव
बरगद पीपल की वही प्यारी प्यारी छाँव

आसिम शहनवाज़ शिबली