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आलोक श्रीवास्तव शायरी | शाही शायरी

आलोक श्रीवास्तव शेर

3 शेर

आ ही गए हैं ख़्वाब तो फिर जाएँगे कहाँ
आँखों से आगे उन की कोई रहगुज़र नहीं

आलोक श्रीवास्तव




यही तो एक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की
जो तुम नहीं तो सफ़र में तुम्हारा प्यार चले

आलोक श्रीवास्तव




ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं

आलोक श्रीवास्तव